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Title: रतिरोग (Venereology
Author: Unknown
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रतिरोग (Venereology) रतिरोग (यौन रोग) या यौन संचारित रोग ( यौन संचारित रोग (एसटीडी ) रति या मैथुन के द्वारा उत्पन्न रोगों का सामूहिक नाम है ...

रतिरोग (Venereology)

रतिरोग (यौन रोग) या यौन संचारित रोग ( यौन संचारित रोग (एसटीडी ) रति या मैथुन के द्वारा उत्पन्न रोगों का सामूहिक नाम है . ये वे रोग हैं जिनकी मानवों या जानवरों में यौन सम्पर्क के कारण फैलने की अत्यधिक सम्भावना रहती है . यौन सम्पर्क में योनि सम्भोग , मुख - मैथुन , तथा गुदा - मैथुन आदि सम्मिलित हैं .

यौन संचारित रोगों के बारे जानकारी में सैकड़ों वर्षों से है . इनमें (1) उपदंश ( सिफलिस ) , (2) सुजाक ( Gonorrhoea ) , लिंफोग्रेन्युलोमा बेनेरियम (Lyphogranuloma Vanarium ) तथा (4) रतिज व्राणाभ (षैण्क्रोइड) , (5) एड्स (एड्स) के प्रधान हैं .

एस टी डी के लक्षण

पुरूषों मे तो रतिरोगों के लक्षण सामान्यतः दिख जाते हैं तो वे जागरूक हो जाते हैं कि उनके यौनपरक अंग संक्रमित हो गए हैं। जबकि औरतों के संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि रोग लग चुका होता है।

एस टी डी से अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्य़ाएं हो सकती हैं। प्रत्येक एस टी डी से अलग प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं - कुल मिलाकर उनसे ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं जिगर के रोग, अनउर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी समस्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं।

एस टी डी के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं -

(1) औरतों में योनि के आसपास खजली और /अथवा योनि से स्राव

(2) पुरूषों मे लिंग से स्राव

(3) सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा

(4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म

(5) मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से जननेन्द्रिय के आसपास हो जाते हैं।

(6) गुदा परक सम्भोग वालों को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा

(7) असामान्य छूत के रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना और वजन का घटना।

रोकथाम

रतिरोग के निरोध के लिए मैथुन के समय रबर की झिल्लियों का प्रयोग और मैथुन के बाद साबुन से जननेंद्रिय की सफाई सर्वोत्तम उपाय हैं। रतिरोग का परीक्षण और उपचार सर्वसुलभ होना चाहिए और सर्वसाधारण को इन रोगों के संबंध में उचित जानकारी देनी चाहिए, जिससे रतिरोगग्रस्त लोग भय, लज्जा, संकोच आदि त्याग कर चिकित्सक की सलाह ले सकें।

एस टी डी से अपने-आप को बचाया जा सकता है-

(1) स्वयं एक विवाह सम्बन्ध निभाना और यह सुनिश्चित करना कि साथी भी उसे निभाये

(2) पुरूषों द्वारा लेटैक्स कंडोम के प्रयोग से छूत का भय कम हो जाता है अगर सही प्रयोग किया जाए। ध्यान रखें, हमेशा सम्भोग के समय उसका उपयोग करें। महिलाओं के कंडोम उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने पुरूषों के यदि पुरूष न उपयोग करे तो स्त्री को अवश्य करना चाहिए।

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