परिचय-
अक्सर लोग बाजार में जब जूते, चप्पल या सैण्डिल खरीदने जाते हैं तो वे ये देखते हैं कि जूता या सैण्डिल देखने मे कैसा है या वह कितने का है। वे ये नहीं देखते कि जूता, चप्पल या सैण्डिल उनके चलने-फिरने में पूरी तरह से ठीक है या नहीं। जबकि इन्हे खरीदते समय काफी समझदारी से काम लेना चाहिए। जहां तक हो सके जूते, चप्पल या सैण्डिल दोपहर मे ही खरीदने चाहिए क्योंकि इस समय तक चलने-फिरने में पैरों मे हल्की सी सूजन आ जाती है और जूते आदि इन्ही फूले हुए पैरों के नाप के लेने चाहिए। नाप के लिए दोनों पैरों मे जूते आदि को डालकर ट्राई कर लें। इसका कारण यही है कि दोनों पैरों का नाप कभी भी एक सा नहीं होता। जूता वही लें, जो बड़े पैर में फिट आता हों। छोटे पैर वाले जूते के अन्दर सोल या पैण्डिंग डालकर उनको पैरों में फिट किया जा सकता है।
जूते पैरों में फिट है या नहीं, इसको ट्राई करने के लिए दोनों जूते पहनकर खड़े हो जाएं। जूते के अन्दर अंगूठे के सामने 1 सेंटीमीटर की जगह बचनी चाहिए तथा दूसरी उंगलियों को अन्दर फैलाने के लिए पूरा स्थान होना चाहिए। एड़ी के भाग में भी पीछे की ओर कसाव न हो। इसलिए चौड़े मुंह ओर मध्यम ऊंचाई की एड़ी वाले जूते या सैण्डिल ही सही होते हैं। ज्यादा ऊंची एड़ी होने से चलते समय शरीर का बैलेंस नहीं बन पाता। क्योंकि ज्यादा ऊंची एड़ी होने के कारण शरीर का सारा बोझ आगे की ओर पड़ता है, जिससे मांसपेशियों तथा हडि्डयों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। पैर के अंगूठे पर जोर पड़ने से महिलाओं में विशेष रूप से पैरों से सम्बंधी बहुत सी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। इन समस्याओं को पैदा होने से रोकने के लिए रोगों की पहचान तथा उनकी चिकित्सा करना जरूरी है।
अक्सर लोग बाजार में जब जूते, चप्पल या सैण्डिल खरीदने जाते हैं तो वे ये देखते हैं कि जूता या सैण्डिल देखने मे कैसा है या वह कितने का है। वे ये नहीं देखते कि जूता, चप्पल या सैण्डिल उनके चलने-फिरने में पूरी तरह से ठीक है या नहीं। जबकि इन्हे खरीदते समय काफी समझदारी से काम लेना चाहिए। जहां तक हो सके जूते, चप्पल या सैण्डिल दोपहर मे ही खरीदने चाहिए क्योंकि इस समय तक चलने-फिरने में पैरों मे हल्की सी सूजन आ जाती है और जूते आदि इन्ही फूले हुए पैरों के नाप के लेने चाहिए। नाप के लिए दोनों पैरों मे जूते आदि को डालकर ट्राई कर लें। इसका कारण यही है कि दोनों पैरों का नाप कभी भी एक सा नहीं होता। जूता वही लें, जो बड़े पैर में फिट आता हों। छोटे पैर वाले जूते के अन्दर सोल या पैण्डिंग डालकर उनको पैरों में फिट किया जा सकता है।
जूते पैरों में फिट है या नहीं, इसको ट्राई करने के लिए दोनों जूते पहनकर खड़े हो जाएं। जूते के अन्दर अंगूठे के सामने 1 सेंटीमीटर की जगह बचनी चाहिए तथा दूसरी उंगलियों को अन्दर फैलाने के लिए पूरा स्थान होना चाहिए। एड़ी के भाग में भी पीछे की ओर कसाव न हो। इसलिए चौड़े मुंह ओर मध्यम ऊंचाई की एड़ी वाले जूते या सैण्डिल ही सही होते हैं। ज्यादा ऊंची एड़ी होने से चलते समय शरीर का बैलेंस नहीं बन पाता। क्योंकि ज्यादा ऊंची एड़ी होने के कारण शरीर का सारा बोझ आगे की ओर पड़ता है, जिससे मांसपेशियों तथा हडि्डयों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। पैर के अंगूठे पर जोर पड़ने से महिलाओं में विशेष रूप से पैरों से सम्बंधी बहुत सी परेशानियां पैदा हो जाती हैं। इन समस्याओं को पैदा होने से रोकने के लिए रोगों की पहचान तथा उनकी चिकित्सा करना जरूरी है।
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