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Title: संभोग करने के दौरान खूबसूरती कैसे बढ़ाएं How to improve beauty by sexual intercourse
Author: Unknown
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परिचय-           जब कोई व्यक्ति ठीक प्रकार से संभोगक्रिया करता है तो उसके चहरे की रंगत धीरे धीरे बढ़ने लगती है जिसके फलस्वरूप उसके चहरे की ख...
परिचय-
          जब कोई व्यक्ति ठीक प्रकार से संभोगक्रिया करता है तो उसके चहरे की रंगत धीरे धीरे बढ़ने लगती है जिसके फलस्वरूप उसके चहरे की खुबसूरती भी जाती है। अत: कहा जाता है कि संभोगक्रिया असर चेहरे की खुबसूरती पड़ता है। यह क्रिया एक तो शरीर के अन्दर के अंगों की मालिश करती है, शरीर में खून के बहाव को बढ़ाती है और शरीर को स्वस्थ, मजबूत और चुस्त बनाती है। संभोग के समय वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के लिये आप संभोग से पहले की क्रियाओं को देर तक चला सकती है। इसके लिये सबसे पहले पुरुष के लिंग को पूरी तरह उत्तेजित होने दें और उसे उत्तेजना की अवस्था में ही बनाए रखें। मगर इस क्रिया में खुद को इतना मत उत्तेजित होने दीजिए कि वीर्यपात हो जाए। संभोग के दौरान एक-दूसरे के शरीर के अंगों से छेड़छाड़ करने से यौन तनाव काफी मात्रा में बढ़ जाता है तथा आप उसको जितनी देर तक रोककर रखेंगी उतना ही आपकी खूबसूरती में बढ़ोतरी होगी। संभोग करते समय मुंह से निकलने वाली लंबी सांसों को लेने से दिल तेज गति से धड़कता है तथा शरीर में खून का बहाव बढ़ता है। जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है जो त्वचा को मुलायम और जवान बनाती है। संभोग क्रिया में कोषों को भी जितना खून चाहिए उतना ही मात्रा में मिलता है जिससे शरीर के सारे अंग अच्छी तरह से काम करते हैं। संभोग करने की क्रिया में ज्यादा समय बिताना चाहिए और जल्दी नहीं करनी चाहिए। आपने जब सोच लिया है कि आपने आज दुनिया का सारा आनन्द लेना है तो बाकी सब कुछ भूल जाएं। संभोगक्रिया की लंबी अवधि आपको बहुत आनन्द तो देती ही है साथ ही काफी समय तक आपकी खूबसूरती का उपचार भी करती है। अगर आपने अभी तक संभोगक्रिया का आनन्द नहीं लिया है तो बिना झिझक के अपने पति से बात करें और उन्हें बताएं कि आपको किस से उत्तेजना मिलती है। जब तक आपको संभोग क्रिया में मजा नहीं आएगा तब तक आपको कोई फायदा नहीं होगा और वह सुख का अवसर बनने के स्थान पर दर्दनाक काम बन जायेगा। इसलिए अपने बैडरूम में आपको संभोगक्रिया में आनन्द लेने के लिये चाहे कितना भी बेशर्म बनना पड़े तो बनने में कोई हर्ज नहीं है। ऐसा करने से आपको अपने पति से प्यार ही मिलेगा क्योंकि जिस क्रिया में आपको आनन्द आयेगा उस में ही आपके पति को भी खुशी मिलेगी। संभोग करने की क्रिया कभी भी एक तरफ से नहीं होती इसमें अपने साथी को देने का नाम ही लेना होता है। जब-तब को छोड़ देना चाहिए। अगर उत्तेजना के समय संभोग करने का नाम पहले आप पर आता है तो आने दें। यह पुरुषों के लिये ज्यादा खास होता है क्योंकि वह अपनी साथी से पहले यौनसुख को भोगता है। वीर्य निकलने से रोक देने से संभोग करने से मिलने वाली खूबसूरती बढ़ जाती है। अगर आपको लगता है कि आपका साथी संभोग क्रिया करते समय संभोग के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है तो वीर्य को निकलने से रोकने के लिये लिंग पर अपना हाथ रखकर अपने अंगूठे को लिंग के साथ ऊपर ले जाने वाली नस पर रख दें। फिर अंगूठे से उस पर जोर से दबाव देकर छोड़ दें। लिंग की नस पर दिया गया यह दबाव वीर्य को ग्रन्थि में नहीं आने देता जिससे की वीर्यपात नहीं हो पाता। अब इस संभोग करने के समय को जितना चाहे बढ़ाएं और देखें कि इससे आपके शरीर की खूबसूरती कितनी बढ़ती है। अगर आपका शरीर स्वस्थ है तो आपकी आत्मा भी जरूर खुश होगी।
संभोग करने के लाभ-
          संभोगक्रिया करने के दौरान स्त्री को मिलने वाला यौनसुख केवल शरीर को सुकून पहुंचाने को स्रोत नहीं होता बल्कि यह किसी भी बदसूरत व्यक्ति को खूबसूरत बना सकता है। यौनसुख बस एक साधारण शारीरिक प्रतिक्रिया होती है। थोड़े समय में रोजाना यौनसुख भोगने वाली स्त्री में सिर से लेकर पैरों के नाखूनों तक बदलाव आता है। संभोगक्रिया करते समय ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ जाती है और इस क्रिया के अन्त में मुश्किल प्रतिक्रियाएं होती है तथा पिट्यूटरी ग्रन्थि खून में हार्मोन्स का स्राव करती है जो यौन अंगो में प्रतिक्रियाओं को बढ़ाते हैं। संभोग करने की इच्छा के लिये यौन हार्मोन्स होना जरूरी है। पिट्यूटरी ग्रन्थि को मास्टर यौन ग्रथि कहा जाता है क्योंकि इसके हार्मोन्स शरीर की दूसरी यौन ग्रंथियों पर अधिकार रखते हैं। यह ग्रन्थि अलग-अलग हार्मोन्स को अलग-अलग यौन ग्रन्थियों तक इस सन्देश के साथ भेजती है कि वह अपने खुद के हार्मोन्स को भरने के लिये तैयार रहे। ये यौन ग्रन्थियां जब एक बार खुद एक बार हार्मोन्स से भर जाती है तो पिट्यूटरी ग्रन्थि को सन्देश भेजती है कि अब हम खुद सावधान है और हमे तुम्हारी मदद की कोई जरूरत नहीं है। इन सब ग्रन्थियों का व्यक्ति को जवान बनाए रखने और उसकी खूबसूरती बनाए रखने से सीधा संबध होता है। सहवास करने के दौरान खून को बहाने वाली नसों पर काबू रखने वाली छोटी मांसपेशियां अनैच्छिक रुप से सिकुड़ जाती है जिसके कारण स्त्रियां अपनी पूरे शरीर में गर्माहट सी महसूस करती है। छोटी खून को बहाने वाली नसें शान्त रहकर शरीर में बहुत ज्यादा खून और गर्माहट लाती है। इसी कारण से कभी-कभी पूरे शरीर की त्वचा में लालपन आ जाता है। यह प्रक्रिया त्वचा के लिए बहुत अच्छी चिकित्सा का काम करती है क्योंकि यह त्वचा की परतों में खून के बहाव को बढ़ा देती है तथा शरीर के रोम छिद्रों में तेल और नमी को पहुंचाती है जिससें त्वचा को जवानी और चमक मिलती है। त्वचा के अन्दर नमी के जमा होने से त्वचा के कमजोर होने की प्रक्रिया रूक जाती है जिससे त्वचा मुलायम और खूबसूरत बनी रहती है। संभोगक्रिया त्वचा के अलावा बाकी शरीर को भी स्वस्थ और चुस्त बनाए रखने में मदद करती है।
चिकित्सा-
फेफड़े-
        संभोग करते समय सांस चलने की गति बहुत ज्यादा तेज हो जाती है जिसके कारण शरीर में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। जिसके कारण फेफड़े तो अपनी पूरी ताकत के साथ काम करते ही है बल्कि मुंह से निकलने वाली गन्दी सांसों के साथ शरीर के जहरीले पदार्थ भी बाहर आ जाते हैं।
दिल-
          संभोग क्रिया के दौरान पूरे शरीर में खून के घूमने के दौरान खून के चलने की गति पर भी असर पड़ता है जिससे दिल की धड़कन भी नहीं बचती। व्यक्ति के आराम करने के समय नब्ज चलने की गति 72 धड़कन की होती है जो संभोगक्रिया के समय प्रति मिनट 180 हो जाती है। इससे दूसरे व्यायामों की तुलना में दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है तथा यह रोजाना की क्रिया दिल का दौरा पड़ने के खतरे को कम कर देती है।
आंखें-
          संभोग क्रिया करते समय आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं। इससे आंखों के आसपास जो छोटी-छोटी मांसपेशियां होती है उनकी कसरत हो जाती है। इस दौरान बढ़ी हुई खून की रफ्तार आंखों को स्वस्थ और चमकीला बनाती है और आंखों के आसपास छोटी-छोटी झुर्रियां और फुलाव नहीं होने देती हैं।
बाल-
          संभोग क्रिया करते समय बढ़ी हुई उत्तेजना के दौरान दिल की धड़कन की रफ्तार तेज होने से पूरे शरीर में तेज गति से खून का संचार होता है। यह खून शरीर के दूसरे अंगों में पहुंचने के साथ-साथ बालों की जड़ों में भी पहुंचकर उनका पोषण करता है। सिर के बालों को उस समय ज्यादा लाभ मिलता है जब आप संभोग क्रिया के समय बिस्तर पर बिना तकिया लगाए बिल्कुल सीधी लेटी रहती है तथा संभोग की किसी दूसरी मुद्रा में नहीं होती है।
भुजा तथा टांगे-
          संभोग सहवास के समय आपकी भुजाओं की मांसपेशिया बिना इच्छा के ही सिकुड़ जाती है जिससे आपकी भुजाएं मजबूत और सुडौल लगती है। ऐसे ही टांगों की मांसपेशियां भी सिकुड़ जाती हैं। यहां तक कि पैरों की उंगलियां भी मुट्ठी की तरह भिंच जाती है। इसलिये संभोग से न केवल आपको सुकून मिलता है बल्कि आपकी पिण्डली, जंघा, पंजे और उंगलियों की मांसपेशियां भी मजबूत होती है।
पेट की मांसपेशियां-
          संभोगक्रिया करते समय पेट की मांसपेशियों में बिना इच्छा के सिकुड़ापन आ जाता है तथा संभोग के दौरान शरीर को बिस्तर पर उठाने से पेट की मांसपेशिया तन जाती है जिससे उनमें कसाव पैदा होता है और वह मजबूत बन जाती है।
गाल-
          संभोग करते समय पूरे शरीर के साथ चेहरे की मांसपेशिया भी एकदम कस सी जाती है। रोजाना संभोग करने से चेहरा भर जाता है। अगर आपके गाल पिचके हुए हैं तो रोजाना संभोग करने से वह भर जाएंगे। इसके साथ ही इस क्रिया में गर्दन की मांसपेशियों के अन्दर खिंचाव आता है जिससे गर्दन मुलायम और सुन्दर बन जाती है और जबड़े वाला हिस्सा भी पिलपिला सा नहीं रहता है। ठोड़ी भी दोहरी होने से बच जाती है। इसलिये आप अगर हमेशा के लिये मजबूत और आकर्षक शरीर चाहते हैं तो जी भरकर संभोग का लाभ उठाएं।
श्रोणी मांसपेशियां-
          संभोग करते समय शरीर का एकदम कठोर हो जाना नितंबों के नीचे के भाग की मांसपेशियों में कसाव पैदा करता है और उन्हे ढीला पड़ने से बचाता है। आपकी ये सिकुड़न जितने लंबे समय की होगी, आपकी मांसपेशियां उतनी ही मजबूत बनेगी।

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