वृषणरज्जु-
वृषणरज्जु छोटे-छोटे अण्डे के आकार के होते हैं। एक वयस्क व्यक्ति के वृषणरज्जु की लंबाई लगभग 4 सेमीमीटर और चौड़ाई 2.5 सेमीमीटर होती है। वृषण 2 होते हैं जो लिंग के दोनों तरफ की थैली में स्थित होते है। वृषण के शरीर के बाहर रहने से उनका तापमान शरीर के तापमान से 3-5 डिग्री फेरनहीट कम होता है। शुक्राणु उत्पन्न करने और उन्हे जीवित रखने के लिए शरीर के अंदर और वृषण के तापमान में यह अंतर आवश्यक है। युवावस्था आरम्भ होते ही अण्डकोशों में स्थित वृषणों में शुक्राणु पैदा होने लगते हैं। उम्र के बढ़ने के साथ शुक्राणुओ की संख्या भी घटती जाती है। अधिकतर जीवनपर्यत पर्याप्त संख्या मे शुकाणु पैदा होते रहते हैं। मनुष्य के अण्डकोषों में दोनों ओर 1-1 वृषणरज्जु द्वारा एक एक शुक्रग्रंथि लटकी होती हैं। इसके 2 कार्य है-
शुक्राणु या जननाणु की उत्पत्ति।
पुरुष के लैंगिक हारमोन्स टेस्टोस्टेरोन का स्राव।
शुक्राणुओं की उत्पत्तिः मनुष्य में वृषण या टेस्टीज असंख्य कुंडलित नलिकाओं का बना होता है। इन नलिकाओं के ठीक भीतर जनन एपीथीलियम होती है। कुछ समय पहले तक यह माना जाता था कि जनन एपीथीलियम के विभाजन और परिपक्व होने से शुक्राणु बनते हैं। परंतु ऐसा नहीं है ये प्रारंभिक कोशिकाओं से बनते हैं। प्रारंभिक कोशिकाएं जनन अंगों में नहीं पैदा होती है। ये कहीं और पैदा होती हैं और फिर जनन अंगों में पहुंच जाती हैं। जनन अंगों में पहुंचकर इनमें कोशिका विभाजन होता है। जिसके फलस्वरूप अंडाणुओं या शुक्राणुओं की उत्पत्ति होती है।
पुरुष के लैंगिक हार्मोन टेस्टोस्टिरोन का स्राव- टेस्टोस्टिरोन पुरुष हार्मोन है लेकिन यह स्त्रियों में भी कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। स्त्रियों में इसका स्राव पुरूषों के मुकाबले 5% ही होता है। यह यौवन के आगमन के लिए उत्तरदायी है जिसमें किशोर लड़कियों के जननेन्द्रियों और बगल में बाल आने शुरू हो जाते हैं। स्तन और जननेन्द्रियाँ संवेदनशील हो जाती हैं और इनमें काम-उत्तेजना होने लगती है।
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Sex Therepi
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