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Title: Sex Therepi:-वृषण क्या होता है (What isTestes)
Author: Unknown
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पुरुष की प्रजनन ग्रंथियों (gonads) को वृषण कहा जाता है। यह ग्रंथियां शुक्राणुओं का उत्पादन करती है। भ्रूणीय विकास के दौरान वृषण (टेस्टीज) उद...

पुरुष की प्रजनन ग्रंथियों (gonads) को वृषण कहा जाता है। यह ग्रंथियां शुक्राणुओं का उत्पादन करती है। भ्रूणीय विकास के दौरान वृषण (टेस्टीज) उदर श्रोणि गुहा के भीतर वृक्कों (गुर्दों) के बिल्कुल नीचे बनते हैं। तीन महीने का भ्रूण होने पर हर वृषण अपनी ऑरिजिनल (असल) जगह से नीचे उतरकर इन्ग्वाइनल केनाल (inguinal canal) में आ जाता है। सातवें महीने के बाद ये इन्ग्वाइनल केनाल से गुजरकर अण्डकोष (Scrotum) में आ जाते हैं। अण्डकोष शिश्नमूल के नीचे और जांघों के बीच लटकने वाली त्वचा की एक थैली होती है। वृषण (टेस्टीज) अण्डकोष में जन्म के बाद या उससे थोडा पहले पूरी तरह उतरते हैं। इन्ग्वाइनल केनाल वृषण (टेस्टीज) के गुजरने के बाद अक्सर बंद (sealed off) हो जाती है। यदि केनाल सही तरह से बंद नहीं हो पाती, तो इन्ग्वाइनल हर्निया हो सकती है। यदि वृषण (टेस्टीज) नियमानुसार उतरने के बजाय उदरगुहा में ही रह जाए (undescended testes), तो अक्सर शुरुआती बाल्यावस्था में ही सर्जरी करानी पड़ती है। यदि इस स्थिति को ठीक नहीं किया जाए, तो वृषण (टेस्टीज) द्वारा टेस्टोस्टीरॉन नामक हॉर्मोन तो पैदा होता है लेकिन शुक्राणु पैदा नहीं होते। इसके परिणाम स्वरूप
बांझपन (sterility) रोग हो जाता है। इसके अलावा टेस्टीकुलर कैंसर की सम्भावना बढ़ जाती है।
बायां वृषण (टेस्टीज) दाएं वृषण की अपेक्षा नीचे को कुछ अधिक लटका हुआ होता है। इससे सामान्य क्रियाओं के दौरान वे आपस में टकराते नहीं है। चूंकि वृषण (टेस्टीज) शरीर के बाहर अंडकोष में लटके रहते हैं, इसलिए इनका तापमान शरीर के तापमान से लगभग 30f कम रहता है। यह निम्न तापमान सक्रीय शुक्राणुओं को पैदा करने तथा उनके जीवित रहने के लिए जरूरी होता है।
अंडकोष का आतंरिक भाग एक तंतुमय मीडियन सेप्टम द्वारा दो भागों (कक्षों) में बंटा रहता है। हर कक्ष में एक वृषण (टेस्टीस) रहता है। मीडियन सेप्टम की रेखा अंडकोष पर बाहर की ओर त्वचा के उभार (रेखा), पेरीनियल रेफी (perineal raphe), के रूप में दिखाई देती है, जो आगे चलकर लिंग के नीचे स्थित मध्य रेखा तथा पीछे मूलाधार (perineum) से गुदा तक स्थित मध्य रेखा में लुप्त हो जाती है।
वयस्कों में, प्रत्येक वृषण (testis) अण्डाकार आकृति का होता है। यह लगभग 4.5 सेटीमीटर लम्बा और 2.5 सेटीमीटर चौडा़ होता है। ये अंडकोष में दोनों ओर वृषण रज्जुओं द्वारा लटके रहते हैं। प्रत्येक वृषण एक तंतुमय थैली (fibroussac) (इस थैली को ट्यूनिका एल्ब्यूजीनिया (Tunica albuginea) कहते हैं) में बंद रहता है। इस थैली में वृषण में अंदर की तरफ कई पट (septae) निकलकर इसे कई कक्षों (इन कक्षों को खण्डक (lobules) कहते हैं) में बांट देते हैं। ट्यूनिका एल्ब्यूजीनिया ट्यूनिका वैस्कुलोसा (Tunica vasculosa) से आस्तरित (ढकी) होती है तथा ट्यूनिका वैजाइनैलिस (Tunica vaginalis) से आच्छादित (ढकी) रहती है। ट्यूनिका वैस्कुलोसा वाहिकामय (vascular) परत होती है, जिसमें कोशिकाओं का जाल मौजूद होता है तथा ट्यूनिका वैजाइनैलिस दो परतों वाली सीरमी कला होती है, जो उदर श्रोणि गुहा को आस्तरित करती है एवं गायब हो जाती है।
प्रत्येक वृषण में 800 से अधिक कसी हुई कुण्डलित सूक्ष्म नलिकाएं होती है। इन नलिकाओं को शुक्रजनक नलिकाएं (seminiferous tubules) कहते हैं और ये एक स्वस्थ व्यक्ति में हर सेकण्ड में हजारों शुक्राणु पैदा करती है। दोनों वृषणों में मौजूद शुक्रजनक नलिकाओं की कुल लम्बाई लगभग 225 मीटर होती है। इनकी भित्तियां जर्मिनल ऊतक (germinal tissue) द्वारा आस्तरित होती है जिसमें दो तरह की कोशिकाएं शुक्राणुजनक कोशिकाएं (spermatogenic cells) एवं सहारा देने वाली सर्टोली (sertoli) कोशिकाएं रहती है। शुक्राणुजनक कोशिकाएं शुक्राणुओं में बदल जाती है। शुक्राणु का विकास अथवा शुक्राणुजनन (spermatogenesis) का वर्णन आगे किया गया है। सर्टोली कोशिकाएं जर्मिनल शुक्राणुओं को पकने के लिए पोषण उपलब्ध कराती है। ये कोशिकाएं नलिकाओं (tubules) के अंदर एक तरल का स्राव भी करती है, जो विकासशील शुक्राणुओं के बाहर की ओर बहने के लिए एक तरल माध्यम का कार्य करता है। ये कोशिकाएं एण्ड्रोजन-बाइडिंग प्रोटीन का स्राव करती है, जो टेस्टोस्टीरॉन एवं ईस्ट्रोजन दोनों को बांधती है तथा इन हॉर्मोंस को शुक्रजनक नलिकाओं के भीतर के तरल में पहुंचाती है। यहां ये पकने वाले शुक्राणुओं के लिए मौजूद रहते हैं। ये कोशिकाएं इनहिबिन (Inhibin) नामक हॉर्मोन का भी स्राव करती है जो पिट्यूटरी ग्रंथि से मुक्त होने वाले फॉलिक्ल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) का नियमन करता है।
शुक्रजनक नलिकाओं (seminiferous tubules) के बीच-बीच में अंतःस्रावी कोशिकाओं (endocrine cells) के गुच्छे होते हैं। इन्हें अंतरालीय एण्डोक्राइनोसाइट्स अथवा लेडिग कोशिकाएं (Leydig cells) कहते हैं। ये कोशिकाएं पुरुष सेक्स हॉर्मोंस (इन हॉर्मोंस को एण्ड्रोजन्स (androgens) कहते हैं) का स्राव करती है। इनमें टेस्टोस्टीरॉन नामक हॉर्मोंस मुख्य रूप से महत्वपूर्ण होता है।

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